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Thursday, December 9, 2021

Mercy - झमा दान

Mercy

जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं, जब हम समझ ही नहीं पाते कि हमें क्या करना चाहिए, हम सब मानव शरीर धारण किए हुए हैं और मनुष्य गुणों से भी सुसज्जित है जैसे लोभ, क्रोध, मोह, वासना आदि, इसी कारण बस हम अपने आप को सबसे श्रेष्ठ समझते हैं और कई बार धर्म और अधर्म का फर्क भूल जाते हैं | 

जब यह निश्चित हुआ कि अब तो कौरव और पांडव का युद्ध होगा ही, तो सबसे ज्यादा व्यथित अगर कोई था तो वहा थे - श्री कृष्ण, वह जानते थे कि पांडव सही होते हुए भी गलत थे और उनसे भी अधर्म हुआ था | चौंसर में अपने भाइयों और अपनी पत्नी को दांव पर लगाना और उसका मान भंग होते देखना और राजा होते हुए भी अपनी प्रजा के बारे में ना सोचते हुए अपनी सारी संपत्ति और राज्य को दांव पर लगाना, यह सब कार्य अधर्म के ही पर्यायवाची हैं और उससे भी बड़ी अधर्म की बात की एक महायुद्ध लड़ा जाना है वो भी प्रतिशोध की भावना से | 

युद्ध होता तो दो राजाओं में है पर उनके साथ लड़ता उनका पूरा साम्राज्य है जिससे किसी का भी फायदा नहीं होता है | 

कृष्ण जानते थे कि यह युद्ध हुआ तो सब कुछ नष्ट हो जाएगा और इस युद्ध से किसी को भी कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि जब कोई शेष ही नहीं बचेगा तो कौन किस राज्य का आनंद लेगा | लेकिन कृष्ण जानते थे कि युद्ध अनिवार्य है पर उसकी दिशा और कारण सही नहीं है इसलिए कृष्ण अपनी बहन द्रोपती के पास गए | 

कृष्ण द्रोपती से बोले, हे द्रोपती तुम यह युद्ध क्यों चाहती हो, द्रोपती एक टक टकी से कृष्ण को देखती ही रही और बोली, है माधव, हे केशव यह आपने कैसा प्रश्न किया है, क्या आप नहीं जानते कि कौरवों ने कैसा मेरा अपमान किया था, कृष्ण बोले - मेरी बहन सब जानता हूं और इसलिए यह प्रश्न कर रहा हूं कि यह युद्ध बड़ा ही विनाशक युद्ध होगा जो आज से पहले कभी नहीं हुआ है और ना आज के बाद कभी होगा और जो भी इसमें वीरगति को प्राप्त करेगा उसका उत्तरदायित्व कौन होगा | क्या युद्ध केवल प्रतिशोध की भावना से होना चाहिए, तब द्रोपती ने रोते हुए कृष्ण से पूछा तो माधव आप ही बताइए क्या मैं सब को माफ कर दूं और भूल जाऊँ जो भी मेरे साथ हुआ था | 

कृष्ण बोले मेरी बहिन युद्ध तो अब अनिवार्य है परन्तु तुम्हारा उन सब को माफ करना भी जरूरी है क्योंकि ऐसा करने से तुम इस युद्ध के पाप से मुक्त हो जाओगी और तब यह युद्ध प्रतिशोध के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध नहीं बल्कि धर्म की स्थापना के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध बन जाएगा - जरा सोचो, तुम महाराज युधिष्ठिर की महारानी शूरवीर पत्तियों की पत्नी हो, जब तुम्हारे साथ ऐसा दुराचार हो सकता है तो समाज की आम नारी के साथ क्या होगा इसलिए फिर कहता हूं तुम सब को माफ कर दो, झमा कर दो क्योंकि इससे बड़ा पुण्य कुछ भी नहीं है

तब द्रोपती ने कौरव समाज को माफ कर दिया इस प्रकार महाभारत का युद्ध किसी स्त्री के प्रतिशोध का नहीं बल्कि धर्म की स्थापना के लिए लड़ा गया युद्ध था | 


(लेखक -धीरेन्द्र सिंह)

हमारे साथ ही क्यों ऐसा होता है


जीवन के अनुभव हमें परिपक्व बनाते हैं अच्छे अनुभव जीवन में खुशियां लाते हैं बुरे अनुभव अपनी, अपनों की, और खुद की खुद से पहचान कराते हैं इसलिए कहते भी है कितनी बड़ी मुश्किल होगी जीत का जश्न उतना शानदार होगा ।

हमें लोग धोखा क्यों देते हैं, हम अच्छे हैं फिर भी हमारे साथ बुरा क्यों होता है। जब हमने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा फिर भी हमें इतना दुख क्यों ऐसे बहुत से प्रश्न हमें परेशान करते हैं जब हम किसी विपरीत या प्रतिकूल परिस्थिति में होते हैं, क्रोध से ग्रसित होते हैं और समझ नहीं पाते कि क्या करें और चिंता में फस जाते हैं

जीवन एक यात्रा है जिसमें बहुत से लोग आपसे मिलेंगे और आपकी यात्रा के साथी भी होंगे कुछ आपको पसंद करेंगे, कुछ आपकी आलोचना करेंगे, कुछ सहयोग करेंगे, कुछ साथ देंगे, कुछ धोखा देंगे, कुछ मित्र होंगे, पर यात्रा आपकी है, विवेक आपका है, जो व्यक्ति सिर्फ अपनी यात्रा का आनंद लेता है अर्थात जो निरंतर गतिमान रहता है और वह किसी भी परिस्थिति में समान रहता है वही अपने लक्ष्य को पाता है।


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)

Sunday, December 5, 2021

कुछ भी असंभव नहीं



कई बार मैं लोगों से सुनता हूं अरे यह तो मैं कर ही नहीं पाऊंगा, यह तो संभव ही नहीं है, तो मुझे समझ नहीं आता कि वह ऐसा कैसे कह सकते हैं जबकि इस दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो कोई भी मनुष्य नहीं कर सकता | 

जब कोई कहता है मैं नहीं कर सकता उसका सिर्फ दो ही मतलब होते हैं, क्या तो वह जानता नहीं है कि काम कैसे हो या वह करना ही नहीं चाहता अगर वह नहीं करना चाहता है, तो यह उसके व्यक्तित्व ही समस्या है क्योंकि आप काम कैसे होता है अगर नहीं जानते हो तो इसके लिए परीक्षण ले सकते हैं

संपूर्ण जीवन A और D के बीच ही सिमटा हुआ है, B का मतलब BIRTH (जन्म) और D का मतलब DEATH (मिर्त्यु) और इसके बीच में C का मतलब CHOICE (निर्णय ), मनुष्य का संपूर्ण जीवन का आधार भी इसी पर टिका हुआ है कि आप क्या करने का और क्या ना करने का निर्णय (CHOICE) लेते हैं | 

जो व्यक्ति जीवन में हर परिस्थिति में स्थिर रहते हैं, खुशी में हों या दुख में, वही जीवन का सही मायने में आनंद लेते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं इसलिए जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है बस चाहिए तो मनुष्य की दृढ़ शक्ति | कई बार लोग चाहते तो बहुत कुछ है और बहुत मेहनत भी करते हैं पर सफल नहीं होते क्योंकि वह अपने आप पर काम नहीं करते जो बहुत आवश्यक है -

सफलता के लिए मनुष्य को 3D और 3C के फार्मूले को अपने जीवन में धारण करना होगा -

D=Dedication (निष्ठा)

D=Devotion (लगन)

D=Determination (दृढ़ता)

C=Coaching (सिखाना)

C=Consistency (स्थिरता)

C=Community (सामान्यता)

जब मनुष्य 3D और 3C के formula को आत्मसार कर लेता है तो उसके लिए जीवन में कुछ भी असंभव नहीं रह जाता है | 


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)

वर्षा


नीले गगन में उमड़े काले बादल,
हवाओं ने भी अपना तेवर दिखाया |
बादलों के शोर में,
बिजली ने भी अपना रूप दिखाया | 

देखना कर यह सब,
बच्चों का मन घबराया |
कैसा मौसम है यह,
किसी को समझ नहीं आया | 

चलती तेज हवाएं,
आज अपना जोर दिखाती |
पेड़ों की हर शाखा,
अपने अस्तित्व को बचाती | 

यह वातावरण मन में,
कुछ मिश्रित अनुभव उखरते हैं | 
कहीं डर तो कहीं,
रोमांच का सुंदर अनुभव कराते हैं | 

वर्षा की पहली बूंद,
जो मेरे तन को छूती है |
मुझे आज फिर से, बच्चा बनने पर मजबूर कर देती है | 

बारिश प्रकृति की,
सुंदरता को प्रकाशित करती है |
जीवन में श्रृंगार, हर्ष और उल्लास को बढ़ाती है | 

वर्षा अपने आप में पूर्ण हैं,
श्रृंगार से सुशोभित है | 
मन की शांति है,
सुंदरता की परिकाष्ठा है | 


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)

सुबह


सूरज की पहली किरण का उजाला,
न तपिश न गरमी का ठिकाना | 
मंद मंद हवाओं का चलना,
वो मन का यूं हरसाना |

निशा की विदाई दिन का आगमन,
चांद का छुपना सूरज का निकलना | 
कलियों की अंगड़ाई, फूलों का खिलना,
धरती का ओस की चादर को हटाना ।

प्रकृति का सौंदर्य हर तरफ है बिखरा,
सुबह का सूरज नई उमंगों से भरा | 
हर किरण अपने में उत्साह को लाती है,
जीवन में नई चेतना का संचार कर जाती है  | 

सूरज की पहली किरण का उजाला,
न तपिश न गरमी का ठिकाना..................


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)

Saturday, October 16, 2021

विश्वास की शक्ति



नमस्कार दोस्तों आप सब कैसे हैं आशा करता हूं आप सब अच्छे ही होंगे, हम सबके जीवन में बहुत सारे किस्से कहानियां घटित होते हैं जो कई बार बहुत प्रेरणादायक होते हैं जो हमारा विश्वास और भी मजबूत कर देते हैं । 

मुझे एक कहानी याद आ रही है जो हो सकता है आप में से बहुत से लोगों ने सुनी भी हो, यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हमारा विश्वास अडिग है तो नामुमकिन भी मुमकिन होता है।

यह कहानी है जयपुर के डॉक्टर की और दिल्ली के पास रहने वाली गरीब बूढ़ी दादी मां की -

डॉक्टर साहब, डॉक्टर आनंद मुखर्जी जो देश के बहुत बड़े हार्ट सर्जन है और जयपुर में अपनी प्रैक्टिस करते हैं उनका काफी देश-विदेश में नाम भी है। एक बार डॉक्टर साहब कॉन्फ्रेंस के लिए बेंगलुरु गए और कॉन्फ्रेंस को खत्म करके वापस फ्लाइट से अपने शहर जयपुर लौट रहे हैं। 

दिल्ली के पास एक गांव है वहां पर एक घर है और उस घर में एक बूढ़ी दादी मां है जो अपने नाती के साथ रहती है और उसका नाती बहुत ज्यादा बीमार है और जो वहां का डॉक्टर है उसने उस बच्चे को देखने के बाद कहा कि इस बच्चे को बचाना मुश्किल है और अगर इसको अब कोई बचा सकता है तो वह हैं डॉक्टर आनंद मुखर्जी, लेकिन वह इतने बड़े डॉक्टर हैं क्यों उनके पास हजारों मरीज इलाज करवाने के लिए लाइन लगाए रहते हैं। यह सब सुनकर बूढ़ी दादी मां उदास हो गई और रोने लगी, पर उनकी आस्था अपने ईश्वर पर, अपने कान्हा जी पर बहुत अधिक थी वह मंदिर में अपने कान्हा जी के पास जा कर बैठ गई और उनसे ही प्रार्थना करने लगी कि हे ईश्वर अब आप ही कुछ रास्ता दिखाइए इस बच्चे की मदद कीजिए हमारी मदद कीजिए, मेरा इस बच्चे के सिवा अब है ही कौन, प्रभु मदत करो।

और दूसरी तरफ डॉक्टर साहब की फ्लाइट मैं अचानक कुछ खराबी आने के कारण उनको दिल्ली में ही उतरना पड़ा, और सभी यात्रियों को टैक्सी से जयपुर भेजने के लिए व्यवस्था की गई, डॉक्टर साहब के लिए भी टैक्सी की व्यवस्था हुई और वह जयपुर के लिए टैक्सी से रवाना हो गए लेकिन जैसे ही वह दिल्ली से गुड़गांव के लिए बढ़ रहे थे कि तभी तेज आंधी तूफान ने उन्हें घेर लिया और मूसलाधार बारिश के बीच में उनकी टैक्सी आगे बढ़ती रही कुछ दूर जाने के बाद ड्राइवर ने डॉक्टर साहब से कहा कि साहब हम थोड़ी देर रुक जाते हैं क्योंकि बारिश बहुत तेज है, हवा भी बहुत तेज चल रही है डॉक्टर साहब बोले नहीं नहीं मुझे बहुत जरूरी है जयपुर पहुंचना तुम गाड़ी चलाते रहो ड्राइवर बोला साहब मुझे रास्ता भी ठीक से दिख नहीं रहा है और आगे भी पानी बहुत तेज है, सभी गाड़ियां रुक रही हैं हम भी रुक जाते हैं तो डॉक्टर साहब ने दुबारा कहा नहीं हम चलते रहेंगे। थोड़ी देर गाड़ी चलाने के बाद ड्राइवर ने अचानक गाड़ी को रोक दिया, डॉक्टर साहब ने पूछा अरे क्या हुआ, मैंने कहा ना हम नहीं रुकेंगे ड्राइवर बोला साहब आगे रास्ता बंद है पर मुझे एक रास्ता पता है वह अंदर गांव से होता हुआ जाता है हम उधर से चलें तो हम बिना रुके पहुंच जाएंगे, डॉक्टर साहब ने कहा तो फिर रुके क्यों हो जो रास्ता मालूम है उस पर चलो और ड्राइवर ने गाड़ी को कच्चे रास्तों पर उतार दिया।

वह गांव के रास्ते से होते हुए आगे बढ़ने लगे कुछ दूर चलने के बाद पानी इतना तेज हो गया के अब ड्राइवर को सड़क भी नहीं दिखाई दे रही थी और पर वह धीरे-धीरे गाड़ी चलाता रहा और थोड़ी दूर जाने के बाद अचानक गाड़ी किसी चीज से टकरा गई और गाड़ी बंद हो गई। डॉक्टर साहब ने फिर पूछा अरे अब क्या हुआ तुमने गाड़ी रोक क्यों दी बोला साहब गाड़ी किसी चीज से टकरा गई है और मुझे लग रहा है कि गाड़ी का एक्सेल टूट गया है और अब गाड़ी नहीं चल पाएगी, डॉक्टर साहब को बहुत गुस्सा आया और वह बोले अरे यह क्या मुसीबत है। डॉक्टर साहब बोले देखो आसपास तुम्हें कोई मदद मिल सकती है क्या ड्राइवर ने उतर कर देखा तो सामने उसे एक छोटा सा मकान नजर आया उसमें डॉक्टर साहब से कहा कि साहब उस मकान में चलते हैं शायद वहां से कोई मदद मिल जाए डॉक्टर साहब ने कहा ठीक है चलो वहीं चलते हैं ।

डॉक्टर साहब ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला तब डॉक्टर साहब ने फिर एक बार प्रयास किया और दरवाज़ा खटखटाया और जोर से बोले अरे यहां कोई है तब अचानक एक बुजुर्ग महिला ने दरवाजा खोला और पूछा कि आप कौन हैं, तब डॉक्टर साहब ने कहा कि हमारी गाड़ी खराब हो गई है और बारिश इतनी तेज है कि हम आगे नहीं जा सकते, क्या मैं थोड़ी देर आपके यहां रुक सकता हूं जब तक मेरा ड्राइवर मेरे लिए दूसरी टैक्सी का इंतजाम कर देगा उस बुजुर्ग महिला ने कहा हां हां क्यों नहीं आप अंदर आइए।

डॉक्टर साहब जैसे ही उस महिला के घर में प्रवेश करते हैं तो देखते हैं कि एक चारपाई पर एक बारह तेरा साल का बच्चा लेटा हुआ है जो बहुत बीमार दिख रहा है, डॉक्टर साहब ने उस महिला से पूछा कि क्या यह बच्चा बीमार है ऐसे क्यों लेटा है इसको क्या हुआ है, यह सुनते ही वो महिला रोने लगी और डॉक्टर साहब से बोली साहब यह मेरा नाती है इसको दिल की बीमारी है और जिस डॉक्टर से इसका इलाज कराते हैं वो इसका इलाज करने में असमर्थ है उन्होंने कहा है कि मैं उसको जयपुर ले जाऊं और जयपुर के एक बहुत बड़े डॉक्टर हैं डॉक्टर आनंद मुखर्जी वही इसका इलाज कर सकते हैं अब बेटा तुम ही बताओ मैं इसको लेकर वहां कैसे जाऊं और इसका इलाज उस डाक्टर से कैसे कराऊं, अब तो उस ईश्वर का ही विश्वास है।

यह सुनते ही डॉक्टर साहब ने कान्हा की मूर्ति की ओर देखा और मुस्कुराते हुए दादी मां से कहा, कि आपकी प्रार्थना कान्हा जी ने सुन ली मैं वही डॉक्टर हूं जिसका इंतजार आपको था और मैं इस बच्चे का इलाज करूंगा और अपनी पूरी कोशिश करूंगा कि यह ठीक हो जाए। इसके बाद डॉक्टर साहब ने उस बच्चे का चेकअप किया उसको देखा और उसको अपने साथ जयपुर ले जाने के लिए सारी व्यवस्था की और उसको अपने साथ लेकर गए वहां उसका इलाज किया और 2 महीने के इलाज के बाद वह बच्चा पूरी तरह से ठीक हो गया और अब स्वस्थ होकर वह अपनी दादी मां के साथ खुशी-खुशी रहने लगा।

दोस्तों इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि अगर हमारा विश्वास सच्चा है तो इस जीवन में कुछ भी नामुमकिन नहीं है, यही विश्वास की शक्ति है।

(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)




Tuesday, August 24, 2021

सफलता कैसे मिले


हम अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं पर उसके लिए तैयारी नहीं करते और जब असफल हो जाते हैं तो पूरी दुनिया को और अपने रिश्तेदारों को सब को बुरा भला कहते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि हम में क्या कमी रह गई ।

जब इंसान किसी सपने के लिए कठिन परिश्रम कर रहा होता है तो वह बार-बार उसका अनुकूलन अपने सपनों में करता रहता है, जो सफलता के लिए बहुत जरूरी भी है पर अधिकांश मनुष्य फल की इच्छा में अपने कठिन परिश्रम को भुला देता हैं और ख्यालों की दुनिया में खोया रहते हैं। जिससे उसका ध्यान मेहनत से हटकर उससे होने वाले लाभ पर केंद्रित हो जाता है जो उसकी सारी मेहनत पर पानी फेर देता है क्योंकि जब आप किसी सपने को पूरा करना चाहते हैं तो पूरी लगन से उसके लिए तैयारी करें बिना हार जीत के विषय में सोचें

लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?

इसको ऐसे समझें कि आपको बाजार से कुछ सामान लेना है और आप बाजार जाते हैं, बिना यह सोचे की दुकानें खुली होंगी या नहीं समान मिलेगा या नहीं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका पूरा ध्यान उस सामान को किसी भी हाल में खरीदने पर होता है यह सिद्धांत सपने को पूरा करने के लिए भी उपयोग किया जाए तो वास्तव में सफलता मिलती है।

जैसे कोई भी सफल व्यक्ति सफल क्यों हुए?

वह व्यक्ति सफल इसलिए हुए क्योंकी उन्होंने सिर्फ अपना सारा ध्यान अपनी सारी ऊर्जा अपने काम पर केंद्रित कर दी ना कि उसकी सफलता या असफलता के बारे में सोचने में इसलिए मैं यह मानता हूं अगर आप कुछ भी करना चाहते हैं तो उसके लिए नियमित रूप से निरंतर मेहनत करें, प्रयास करें सफलता आपको जरूर मिलेगी।

"जीवन में हारना अनुभव सिखाता है।
 गिर कर उठना, हार ना मानना, जीवन जीना सिखाता है।"

सफलता का एक ही नियम - हार ना मानना (Never give up)

(लेखक - धीरेंद्र सिंह)

बहन




यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।
यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।
अपनी ही मस्ती में मस्त थे ।

एक दिन जब हम विद्यालय से घर आए ।
एक दिन जब हम विद्यालय से घर आए ।
दादी जी ने हमें खुशखबरी सुनाई
अब हम छोटे नहीं बन गए बड़े भाई
यह सुनकर हमको बड़ा पसीना आया
हमने गुस्से में मुंह फुलाया
यह क्या मुसीबत मेरे गले पर आई
पर हमारा बड़ा भाई बहुत मुस्कुराया
क्योंकि एक नन्ही सी परी हमारे जीवन में आई
हमको समझ नहीं आ रहा था सब क्यों इतने खुश हैं 
एक हम ही थे जो मुंह फुला कर बैठे थे
बड़ी मुश्किल से हमें मनाया गया
हमको अपने पास मां ने बुलाया
उस नन्ही परी से हमारा कुछ परिचय कराया
उसको हमारी छोटी बहन कह के बुलाया
एक ही पल में हम छोटे से बड़े हो गए
और उस परी के दो बड़े रखवाले हो गए
थी तो वह छोटी पर किसी राजकुमारी से कम नहीं थी
जब उससे कुछ काम कहो उसका एक ही रूदन था
अभी तो हम छोटे हैं, क्योंकि वह हम सबकी लाडली थी 
कितनी ऐसी यादें हैं कितने ऐसे किस्से हैं
इन मीठी यादों को कैसे अपनी कलम में कैद करूं ।

यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।
यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।


(लेखक - धीरेंद्र सिंह)







Wednesday, July 21, 2021

आधुनिक जीवन - छूटता घर का आँगन

घर का आँगन 



आज जीवन शैली बदल गयी है, लोग अपने में ज्यादा सिमट गए हैं | लोग आपस में सहज नहीं हैं जैसे की वह पहले हुआ करते थे | आज हम सब आधुनिक युग में जी रहे हैं जहाँ विज्ञान के नये-नये उपकरण हमारा काम आसान बना रहे हैं, लेकिन साथ साथ इनके उपयोग से जीवन भी जटिल होता जा रहा है | आज हम किसी पर आसानी से भरोसा नहीं कर सकते अगर चाहते भी हैं तो भी नहीं करपाते हैं | इन सबका क्या कारण है, विज्ञान की नयी उपलब्धियां तो हमारे जीवन को सुगम बनाती हैं पर जैसे कहा जाता है की किसी भी चीज का ज्यादा उपयोग नुक्सान देह होता है यह भी ऐसे ही है | आज हम अपने जीवन को बहेतर बनाने के चक्कर में अपने निजी जीवन को ही भूल चुके हैं | 

इसलिए आज  मुझे अपने घर का वो आँगन याद आ रहा है, मुझे अपना बचपन याद आ रहा है, वो खेल, वो साथी, वो लोग, वो बुजर्ग, वो आसमान छूने की जिद्द, वो लड़ना, रूठना, मनना और ऐसी कितनी बातें जो आज के परिवेश से बिलकुल अलग थीं | 

आप कल्पना करिये उस घर की जहाँ दस से ज्यादा परिवार एक साथ रहते हों और उन परिवारों के बच्चे साथ-साथ खेलते हों, लड़ते हों, खिल खिलाकर हँसते हों, खुश होते हों | लेकिन जब इतने सारे लोग साथ रहते हैं तो आप कभी भी अकेले नहीं हो सकते हैं | सोच कर देखिये की आप उदास घर में आते हैं तभी किसी चाची ने या अम्मा ने देखा तो तुरंत प्रश्न आ जायेगा, अरे बेटा क्या हुआ मुहं क्यों लटका रखा है आप कैसे न कैसे उनके इन प्रश्नोसे बचते बचाते अपने कमरे की तरफ बड़ोगे तभी कोई और आपसे पूछ लेगा, हे भाई क्या हुआ | सच मानिये आपको बुरा भी लगेगा की कोई मुझे अकेला क्यों नहीं छोड़ देता, लेकिन इन सबने उस उदासी को दूर भी कर दिया क्यों की अब आप कुछ और ही सोचने लगते हैं जो वास्तव में बहुत जरुरी होता है | जब लोग आपसे बात करते हैं, आपके प्रति अपना स्नेह जताते हैं तब आप में एक अजीब सा उत्साह भर जाता है और आप अपनी मूल समस्या या परेशानी को भूल कर आगे बढ़ जाते हैं और उस परेशानी से निपटने के लिए आप तैयार हो जाते हैं, आप चिंता को छोड़ चिंतन  करने लग जाते हैं | 

आज आधुनिक जीवन शैली में हम संयुक्त परिवार के महत्व को भुला बैठे हैं | हम सब कुछ ज्यादा ही समझदार हो गए हैं लेकिन इससे हुआ क्या है ? इससे हमारी ही निजी जिंदगी का तना बाना बिगड़ गया है | हम सब तनाव के शिकार हो गए हैं जिससे जीवन में अनेको बीमारियों ने घर कर लिया है, हमारे पास कोई सच्चा मित्र, साथी नहीं है, आप जिससे भी अपनी परेशानी को बांटते हो वो ही उसका सौदा करने लगता है | 

हम सब यह जानते भी हैं और मानते भी हैं और संयुक्त परिवार के महत्व को समझते भी हैं फिर भी हम सब अलग-अलग रहना पसंद करते हैं और ठीक भी है, समय बदला है परिवेश भी बदला है लोगों की सोच बदली है किन्तु इस परिस्थति में हमारी नैतिक जिम्मेदारी हमारी नयी पीढ़ी के लिए बड़ जाती है की हम उनको ऐसे संस्कार दें और उनके सामने ऐसा आचरण करें जिससे वो मानवीय मूलों को समझें और एक अच्छे और सच्चे इंसान बन सकें | 

वास्तव में घर का आँगन होता क्या है ? 

घर का आँगन एक ऐसा स्थान जहां सुकून हो, चित शांत हो, ऊर्जा चर्म पर हो, मुख पर मुस्कान हो और यह सब तब होता है जब हमारे अंदर सुरक्षा का भाव होता है | 

यह वही जानता है, जो अपने शहर से दूर हो, जो अपने प्रदेश से दूर हो, जो देश से दूर हो की वास्तव में घर का आँगन क्या होता है | 


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)         

   

 


Sunday, July 18, 2021

आज के समय की जटिलता

 आज का युग 



मै जब अपने व्यक्तित्व को देखता हूँ तो विचारों के अंनतजाल में अपने को फंसा पाता हूँ । मैं अपने को और अपनी क्षमताओं को समाझना चाहता हूँ, आज का वातावरण बहुत जटिल है। आप एक पल बहुत खुश हो तो दूसरे पल में बहुत दुखी हो जाते हो, कितनी बार यह अहसास समझ नहीं पता हूँ क्यों की आज के युग का वातावरण भी कुछ ऐसा ही है। 

आज का युग जानकारी (Information) का युग है तकनीकी (Technology) का युग है अगर आप अपने आपको समय के अनुरूप ढाल लेते हैं तो समय भी आपके जीवन को संभालता है लकिन मेरी समस्या यह है कि मुझे इतनी जटिलता नहीं चाहिए। आज का जीवन इतना सरल नहीं है | शायद, यह मेरी नकारात्मक सोच हो सकती है पर यह समस्या केवल मेरी नहीं अधिकांश व्यक्तियों की है क्योंकी आज हर एक व्यक्ति को कुछ भी करने से पहले सोचने के साथ साथ सतर्कता भी रखनी पड़ती है और जो ऐसा नहीं करते कई बार उनको बहुत नुक्सान उठाने पड़ते हैं | 

(आगे पढ़ें - विचारों की शक्ति)

भारत एक विशाल देश है और हमारी आबादी भी बहुत है । जिसका सीधा मतलब है कि व्यपार के लिए बहुत उत्तम जगह। यह आबादी हमारी शक्ति भी है तो हमारी बहुत बड़ी कमजोरी भी, आज हर देश भारत के साथ व्यापर करना चाहता है और देश भी खुले हाथो से सबका स्वागत कर रहा है।  व्यपार करने के लिए नए नियम कानूनों को और भी सरल बनाया जा रहा है जिससे देश पूरे विश्व के साथ व्यपार कर सके और देश संपन हो सके और यहां के लोग खुशहाल जीवन जी सकें । बैंको ने ऋण देने की प्रक्रिया को भी सरल किया है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग व्यापार कर सकें और देश में सबके लिए पर्याप्त आमदनी के और नौकरी के अवसर उपलब्ध हों सकें | 

(आगे पड़ें - महेनत या लगन)

लोगों को तकनिकी (Information Technology) से जोड़ा जा रहा है और उनकी जानकारी इकट्ठा की जा रही है | यह सब ठीक है पर यह सब हमे विचार करने पर भी विवश करती है क्योंकि आज हमारी सारी निजी जानकारी, जैसे की हमारी आय (income) के बारे में, बैंक खातों के बारे में, घर परिवार के बारे में, कहने का मतलब आपके जीवन और आपसे जुड़े सभी सदस्यों की जानकारी सब सरकारें अपने पास रख रही हैं | मैं यकीन भी करता हूँ की सरकारें इनकी हिफाज़त भी करेंगी किन्तु आज हम जिस युग में जी रहे हैं वहां यह भी खतरे मौजूद हैं की कोई तकनीक (Information Technology) की सहायता से इन जानकारियों को चुरा के कितनी तबाही मचा सकता है कोई सोच भी नहीं सकता है | 

इसलिए मैंने कहा - कुछ भी करने से पहले सतर्कता जरूर बरतें | मैं एक आम आदमी हूँ जो सिर्फ चाहता हूँ एक सरल जीवन, पर ऐसा है नहीं |  हर कोई बिचलित है क्यों की हर पल सतर्कता जरुरी है आप की जरा से लपरवाही आपके लिए मुसीबत का सबब बन सकती है |

(आगे पढ़ें - विचारों की शक्ति

आज के आधुनिक युग में तकनिकी (Information Technology) ने हमारा जीवन को बहुत ही सुबिधा जनक बनाया है इसमें कोई संदेह नहीं है | लेकिन उसके अधिक उपयोग से हमने अपने आपको बीमार भी बना लिया है क्योंकि आज इस तकनीक के माध्यम से हमे इतनी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है जो हमारे विचारों को भी प्रभावित कर रही है और इससे इतनी विचित्र स्थिति उत्पन हो गयी है, पहले आप कुछ करके अनुभव लेते थे आज आप कुछ करने से पहले इतने विचारों से घिरे होते हैं,दूसरों के अनुभवों को जानकार कई बार आप कुछ भी नहीं करते और आपका समय और विचार सब कुछ व्यर्थ हो जाता है | 

(आगे पड़ें - महेनत या लगन)

पहले समस्या का हल प्रधमिकता होती थी आज समस्या के हल का अधिकांश लोग सिर्फ विचार करते हैं |  इस वर्तमान युग में भी ऐसे कुछ स्थिर लोग हैं जो जागरूक हैं, कुछ भी करने में क्योंकि वो जान गए हैं आज के वातावरण को, समय की चाल को इसलिए वो आधुनिक तकनीक (Information Technology) का इस्तमाल सिर्फ जीवन को सरल बनाने में उपयोग करते हैं न की उसको अपने ऊपर हावी होने देतें हैं | 

जीवन के खेल खिलोने यह संघर्ष, तुम इनसे ही अपने  दिल का मिलान करो | 

मत सोचो इतना की क्या होगा बस थोड़ी सी एतियात जरूर बर्तो ||


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)    



Saturday, June 19, 2021

भावपूर्ण श्रद्धांजलि - श्री मिल्खा सिंह जी

महान व्यक्ति (श्री मिल्खा सिंह जी ) को शत शत नमन  



व्यक्ति अपने कर्म से बड़ा बनता है, आपकी सोच आपके इरादे और कभी न हार मानने वाला नजरिया, आपको एक अपराजित व्यक्तित्व का स्वामी बना देते हैं | 

आज मैं बात कर रहूँ एक ऐसे व्यक्तित्व की जो पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे, जिसने आम आदमी के मन में विश्वास जगाया की अपने दृण संकल्प से, महेनत से आप सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं |

श्री मिल्खा सिंह जी, जो आज हमारे बीच नहीं रहे, पर उनके प्रेरणादायक शब्द और उनका संपूर्ण जीवन, हमेशा लोगों को प्रेरणा देता रहेगा  -

उनके द्वारा कहे गये प्रेरणादायक शब्द - 

  • आपको तब तक जीतने से कोई नहीं रोक सकता, यदि आप रुकने को तैयार न हो | 
  • सफलता का पहला नियम यही है की जिस काम को आप कर रहे हैं उस काम के असली में पूरा होने का विश्वास आप में होना चाहिए | 
  • आप केवल जीतने के लिए भागिए ,हार के डर से बचने के लिए नहीं।
  • हाथ की लकीरों से जिंदगी नहीं बनती, हमारा भी कुछ हिस्सा है जिंदगी बनाने का।


(इस महान व्यक्ति के बारे में और जानने के लिए -  -  https://en.wikipedia.org/wiki/Milkha_Singh


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)


Sunday, May 30, 2021

आत्मविश्वास - जीत के लिए जरुरी

अपने आत्मविश्वास को जितने दो



  • डर और अविश्वास तुम्हारे साथ लम्बे समय तक रहता है, अब समय है उसे तुम अपने आत्मविश्वास से जीतो।
  • तुम चुनोतियो के लिए तैयार हो और उनको जीतने के लिए भी | 
  • अब अपने मन मस्तिक को इस तरह तैयार करो उन सब अच्छी चीज़ के लिए जिसके लिए तुम काबिल हो।
  • अपने आत्मविश्वास को जागृत करो जो पहले से तुम में है। 
  • अपने आत्मविश्वास को जीतने दो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कर्म करो। अपनी जिंदगी के उद्देश्य को पहचानो। 

(लेखक-धीरेन्द्र सिंह)

Saturday, May 22, 2021

स्वामी विवेकानंद जी के प्रसिद्ध विचार

 


स्वामी विवेकानंद जी के वचन 


https://dhirthoughts.blogspot.com/

१. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये | 

२. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान में विश्वास नहीं कर सकते | 

३. सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा| 


(आगे पढ़ें  - विचारों की शक्ति )


४. एक विचार लो उस विचार को अपना जीवन बना लो – उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो, उस विचार को जियो, अपने मस्तिष्क, मांस पेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो, यही सफल होने का तरीका है | 

५. जिस दिन जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं की आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं | 

६. सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना, स्वयं पर विश्वास करो | 

७.  बस वही जीते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं | 

८. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु, विस्तार जीवन है, सकुंचन मृत्यु - प्रेम जीवन है, ईर्ष्या, द्वेष मृत्यु | 


(आगे पढ़ें - जीवन कैसा हो )


९. हम जो बोते हैं वो ही काटते हैं, हम स्वयं अपने भाग्य के बिधाता हैं |  

१०. जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे, यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे | 

स्वामी जी के वचनो ने विश्व के करोड़ों लोगों को, युवाओं को प्रभावित किया है और उनका मार्ग दर्शन किया है और युग युगान्तर तक करते रहेंगे |  

                                       


(धीरेन्द्र सिंह )


  

Monday, May 17, 2021

मेहनत या लगन

मेहनत करने से सफलता मिलती है कैसे?



हम सबको बचपन से ही यह सीखाया जाता है कि सफलता के लिए मेहनत करनी चाहिए और हम सब इस बात का अनुसरण भी करते हैं, फिर भी कुछ ही लोगों को ही सफलता क्यों मिलती है, एक मजदूर तो कितनी मेहनत करता है या एक मध्यम वर्गीय इंसान कितनी कठिन परिश्रम करता है लेकिन उसको भी वो सफलता नहीं मिलती क्यों ? 

(आगे पढ़े - विचारों की शक्ति )

Wednesday, May 12, 2021

पीड़ा

 

दर्द



कुछ भूल रहा हूं, अपने में सिमट रहा हूं ।

अपनों के दर्द से परेशान हूं, कुछ भूल रहा हूं ।।

Monday, May 10, 2021

परवरीश

बच्चों को कभी भी नज़र अंदाज़ नहीं करें


बच्चे वही करते हैं या सीखते हैं जो अपने वातावरण में देखते हैं, बच्चे जिज्ञासा से भरे होते हैं वो कभी भी क्या सही है या क्या गलत ऐसे विचारों में नहीं फसते, वो वही करते हैं जिसमे उनको खुशी मिलती है | 

बच्चों की गलतियों को या उनकी शरारतों को या उनकी ख़ामोशी को भी कभी नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहिए - 

Friday, May 7, 2021

नज़रिया अमीर और गरीब का

 अमीर और गरीब का फर्क


हम गरीब क्यों हैं या हमारे पास पर्याप्त धन क्यों नहीं हैं, हम सफल क्यों नहीं हैं, ऐसे कितने अनगिनत सवाल हैं,  जिससे हम घिरे रहते हैं, चाहते भी हैं इससे बहार आना और कठिन परिश्रम भी कर रहे होते हैं, फिर भी स्थिति मैं जयादा बदलाब नहीं आता है, क्यों ?

Thursday, May 6, 2021

Important for Success - सफलता के लिए जरूरी

विश्वास

अगर आपको खुद पर विश्वास है कि आप कर सकते हैं तो आपको सफलता मिलेगी और निश्चित रूप से मिलेगी।

If you believe in yourself that you can do it then you will get the success and definitely get it.

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Important for Success


Saturday, April 24, 2021

दृढ़ संकल्प की शक्ति

With strong will power and determination you may come out from any adverse situations.

दृढ़ इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ आप किसी भी विपरीत परिस्थितियों से बाहर सकते हैं ।

Tuesday, April 20, 2021

बीता समय और अच्छे दोस्त

क्या दिन थे वो बचपन के | 

सोचता हूँ तो कहानी लगती है, एक फ़साना लगता है | 

जिंदगी कब रूकती है, यह तो चलती रहती है | 

पर अब वो बेफिक्री कहाँ, वो किस्से कहानी कहाँ | 

वो दोस्तों के साथ मस्ती के, वो सुनहरे पल कहाँ | 

अब वो जिंदिगी कहाँ | 


Friday, January 8, 2021

अपने को जगाओ

हम सभी अलग ही विचारों के भंवर में फसे रहते हैं बिना यह विचारे की ऐसे क्यों होता है | इतना सोचते हैं की कई बार तो सोच भी थक जाती है, इससे किया हाशिल होता है अन्तः कुछ नहीं, पर इससे हमारे शरीर पर बिपरीत असर जरूर पड़ता है कई बार तो इन सभ की बजह से कई बिमारी पनप जाती हैं |