नमस्कार दोस्तों आप सब कैसे हैं आशा करता हूं आप सब अच्छे ही होंगे, हम सबके जीवन में बहुत सारे किस्से कहानियां घटित होते हैं जो कई बार बहुत प्रेरणादायक होते हैं जो हमारा विश्वास और भी मजबूत कर देते हैं ।
मुझे एक कहानी याद आ रही है जो हो सकता है आप में से बहुत से लोगों ने सुनी भी हो, यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हमारा विश्वास अडिग है तो नामुमकिन भी मुमकिन होता है।
यह कहानी है जयपुर के डॉक्टर की और दिल्ली के पास रहने वाली गरीब बूढ़ी दादी मां की -
डॉक्टर साहब, डॉक्टर आनंद मुखर्जी जो देश के बहुत बड़े हार्ट सर्जन है और जयपुर में अपनी प्रैक्टिस करते हैं उनका काफी देश-विदेश में नाम भी है। एक बार डॉक्टर साहब कॉन्फ्रेंस के लिए बेंगलुरु गए और कॉन्फ्रेंस को खत्म करके वापस फ्लाइट से अपने शहर जयपुर लौट रहे हैं।
दिल्ली के पास एक गांव है वहां पर एक घर है और उस घर में एक बूढ़ी दादी मां है जो अपने नाती के साथ रहती है और उसका नाती बहुत ज्यादा बीमार है और जो वहां का डॉक्टर है उसने उस बच्चे को देखने के बाद कहा कि इस बच्चे को बचाना मुश्किल है और अगर इसको अब कोई बचा सकता है तो वह हैं डॉक्टर आनंद मुखर्जी, लेकिन वह इतने बड़े डॉक्टर हैं क्यों उनके पास हजारों मरीज इलाज करवाने के लिए लाइन लगाए रहते हैं। यह सब सुनकर बूढ़ी दादी मां उदास हो गई और रोने लगी, पर उनकी आस्था अपने ईश्वर पर, अपने कान्हा जी पर बहुत अधिक थी वह मंदिर में अपने कान्हा जी के पास जा कर बैठ गई और उनसे ही प्रार्थना करने लगी कि हे ईश्वर अब आप ही कुछ रास्ता दिखाइए इस बच्चे की मदद कीजिए हमारी मदद कीजिए, मेरा इस बच्चे के सिवा अब है ही कौन, प्रभु मदत करो।
और दूसरी तरफ डॉक्टर साहब की फ्लाइट मैं अचानक कुछ खराबी आने के कारण उनको दिल्ली में ही उतरना पड़ा, और सभी यात्रियों को टैक्सी से जयपुर भेजने के लिए व्यवस्था की गई, डॉक्टर साहब के लिए भी टैक्सी की व्यवस्था हुई और वह जयपुर के लिए टैक्सी से रवाना हो गए लेकिन जैसे ही वह दिल्ली से गुड़गांव के लिए बढ़ रहे थे कि तभी तेज आंधी तूफान ने उन्हें घेर लिया और मूसलाधार बारिश के बीच में उनकी टैक्सी आगे बढ़ती रही कुछ दूर जाने के बाद ड्राइवर ने डॉक्टर साहब से कहा कि साहब हम थोड़ी देर रुक जाते हैं क्योंकि बारिश बहुत तेज है, हवा भी बहुत तेज चल रही है डॉक्टर साहब बोले नहीं नहीं मुझे बहुत जरूरी है जयपुर पहुंचना तुम गाड़ी चलाते रहो ड्राइवर बोला साहब मुझे रास्ता भी ठीक से दिख नहीं रहा है और आगे भी पानी बहुत तेज है, सभी गाड़ियां रुक रही हैं हम भी रुक जाते हैं तो डॉक्टर साहब ने दुबारा कहा नहीं हम चलते रहेंगे। थोड़ी देर गाड़ी चलाने के बाद ड्राइवर ने अचानक गाड़ी को रोक दिया, डॉक्टर साहब ने पूछा अरे क्या हुआ, मैंने कहा ना हम नहीं रुकेंगे ड्राइवर बोला साहब आगे रास्ता बंद है पर मुझे एक रास्ता पता है वह अंदर गांव से होता हुआ जाता है हम उधर से चलें तो हम बिना रुके पहुंच जाएंगे, डॉक्टर साहब ने कहा तो फिर रुके क्यों हो जो रास्ता मालूम है उस पर चलो और ड्राइवर ने गाड़ी को कच्चे रास्तों पर उतार दिया।
वह गांव के रास्ते से होते हुए आगे बढ़ने लगे कुछ दूर चलने के बाद पानी इतना तेज हो गया के अब ड्राइवर को सड़क भी नहीं दिखाई दे रही थी और पर वह धीरे-धीरे गाड़ी चलाता रहा और थोड़ी दूर जाने के बाद अचानक गाड़ी किसी चीज से टकरा गई और गाड़ी बंद हो गई। डॉक्टर साहब ने फिर पूछा अरे अब क्या हुआ तुमने गाड़ी रोक क्यों दी बोला साहब गाड़ी किसी चीज से टकरा गई है और मुझे लग रहा है कि गाड़ी का एक्सेल टूट गया है और अब गाड़ी नहीं चल पाएगी, डॉक्टर साहब को बहुत गुस्सा आया और वह बोले अरे यह क्या मुसीबत है। डॉक्टर साहब बोले देखो आसपास तुम्हें कोई मदद मिल सकती है क्या ड्राइवर ने उतर कर देखा तो सामने उसे एक छोटा सा मकान नजर आया उसमें डॉक्टर साहब से कहा कि साहब उस मकान में चलते हैं शायद वहां से कोई मदद मिल जाए डॉक्टर साहब ने कहा ठीक है चलो वहीं चलते हैं ।
डॉक्टर साहब ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला तब डॉक्टर साहब ने फिर एक बार प्रयास किया और दरवाज़ा खटखटाया और जोर से बोले अरे यहां कोई है तब अचानक एक बुजुर्ग महिला ने दरवाजा खोला और पूछा कि आप कौन हैं, तब डॉक्टर साहब ने कहा कि हमारी गाड़ी खराब हो गई है और बारिश इतनी तेज है कि हम आगे नहीं जा सकते, क्या मैं थोड़ी देर आपके यहां रुक सकता हूं जब तक मेरा ड्राइवर मेरे लिए दूसरी टैक्सी का इंतजाम कर देगा उस बुजुर्ग महिला ने कहा हां हां क्यों नहीं आप अंदर आइए।
डॉक्टर साहब जैसे ही उस महिला के घर में प्रवेश करते हैं तो देखते हैं कि एक चारपाई पर एक बारह तेरा साल का बच्चा लेटा हुआ है जो बहुत बीमार दिख रहा है, डॉक्टर साहब ने उस महिला से पूछा कि क्या यह बच्चा बीमार है ऐसे क्यों लेटा है इसको क्या हुआ है, यह सुनते ही वो महिला रोने लगी और डॉक्टर साहब से बोली साहब यह मेरा नाती है इसको दिल की बीमारी है और जिस डॉक्टर से इसका इलाज कराते हैं वो इसका इलाज करने में असमर्थ है उन्होंने कहा है कि मैं उसको जयपुर ले जाऊं और जयपुर के एक बहुत बड़े डॉक्टर हैं डॉक्टर आनंद मुखर्जी वही इसका इलाज कर सकते हैं अब बेटा तुम ही बताओ मैं इसको लेकर वहां कैसे जाऊं और इसका इलाज उस डाक्टर से कैसे कराऊं, अब तो उस ईश्वर का ही विश्वास है।
यह सुनते ही डॉक्टर साहब ने कान्हा की मूर्ति की ओर देखा और मुस्कुराते हुए दादी मां से कहा, कि आपकी प्रार्थना कान्हा जी ने सुन ली मैं वही डॉक्टर हूं जिसका इंतजार आपको था और मैं इस बच्चे का इलाज करूंगा और अपनी पूरी कोशिश करूंगा कि यह ठीक हो जाए। इसके बाद डॉक्टर साहब ने उस बच्चे का चेकअप किया उसको देखा और उसको अपने साथ जयपुर ले जाने के लिए सारी व्यवस्था की और उसको अपने साथ लेकर गए वहां उसका इलाज किया और 2 महीने के इलाज के बाद वह बच्चा पूरी तरह से ठीक हो गया और अब स्वस्थ होकर वह अपनी दादी मां के साथ खुशी-खुशी रहने लगा।
दोस्तों इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि अगर हमारा विश्वास सच्चा है तो इस जीवन में कुछ भी नामुमकिन नहीं है, यही विश्वास की शक्ति है।
(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)