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Tuesday, April 20, 2021

बीता समय और अच्छे दोस्त

क्या दिन थे वो बचपन के | 

सोचता हूँ तो कहानी लगती है, एक फ़साना लगता है | 

जिंदगी कब रूकती है, यह तो चलती रहती है | 

पर अब वो बेफिक्री कहाँ, वो किस्से कहानी कहाँ | 

वो दोस्तों के साथ मस्ती के, वो सुनहरे पल कहाँ | 

अब वो जिंदिगी कहाँ | 


सोचता हूँ तो कहानी लगती है...... 


घंटो दोस्तों से बात करना, आने वाली जिंदगी के खुआब बुनना | 

दोस्तों का यूँ चिड़ाना और हमारे लिए सबसे लड़ना | 

 कभी भुलाया नहीं जाता | 

जिंदगी के कई मोड़ पर, इन किस्सों का मुख पर मीठी सी मुश्कान का छोड़ जाना  | 

हमे हमेशा अपने दोस्तों से जोड़े रखता है | 


सोचता हूँ तो कहानी लगती है...... 


                                                                                                                         (लेखक - धीरेन्द्र सिंह )

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