हम सभी अलग ही विचारों के भंवर में फसे रहते हैं बिना यह विचारे की ऐसे क्यों होता है | इतना सोचते हैं की कई बार तो सोच भी थक जाती है, इससे किया हाशिल होता है अन्तः कुछ नहीं, पर इससे हमारे शरीर पर बिपरीत असर जरूर पड़ता है कई बार तो इन सभ की बजह से कई बिमारी पनप जाती हैं |
क्यों बैठा है क्या विचार है जिसमे डूबा है,
कुछ नहीं पायेगा केबल इन विचारों से,
इतना मत डूब इसमें की खुद को खो दे,
कहीं नहीं पहुंचेगा इन सपनो की नगरी से,
फस के रहे जायेगा इस भवँर में,
विचार तो शक्ति हैं इसको अपनी ताकत बना,
उठ और अपने कर्म में सलग्न हो जा,
मंजिल उसको ही मिलती है जो कर्म को प्राध्मिकता देता है,
गिरता है सौ बार पर हार नहीं मानता है,
यह ही संगर्ष जीवन में मजिल के करीब तुमको ले जाते हैं,
क्यों बैठा है क्या विचार है जिसमे डूबा है...........
जिंदगी तुमको कसौटी पर कसेगी,
यह तुम पर है की तुम निखोरगे या बिखरोगे,
सोच तुम्हरी है समय तुम्हारा है,
कुछ करोगे तो कुछ पाओगे बरना सोचते ही रहे जाओगे,
विचार जरुरी हैं, कर्म के लिए पर विचारों को ही अपना कर्म मत बनाओ,
हम सबको वरदान है यह जीवन,
इसको सिर्फ अपने विचारों में सीमित मत करो,
सपनो का आधार तुम्हारी सोच है,
उसकी सफलता तुम्हारा कर्म है,
उठो जागो और अपने कर्म में सलग्न हो जाओ,
क्यों बैठा है क्या विचार है जिसमे डूबा है...........
(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)
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