सूरज की पहली किरण का उजाला,
न तपिश न गरमी का ठिकाना |
मंद मंद हवाओं का चलना,
वो मन का यूं हरसाना |
निशा की विदाई दिन का आगमन,
चांद का छुपना सूरज का निकलना |
कलियों की अंगड़ाई, फूलों का खिलना,
धरती का ओस की चादर को हटाना ।
प्रकृति का सौंदर्य हर तरफ है बिखरा,
सुबह का सूरज नई उमंगों से भरा |
हर किरण अपने में उत्साह को लाती है,
जीवन में नई चेतना का संचार कर जाती है |
सूरज की पहली किरण का उजाला,
न तपिश न गरमी का ठिकाना..................
(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)
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