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Sunday, December 5, 2021

सुबह


सूरज की पहली किरण का उजाला,
न तपिश न गरमी का ठिकाना | 
मंद मंद हवाओं का चलना,
वो मन का यूं हरसाना |

निशा की विदाई दिन का आगमन,
चांद का छुपना सूरज का निकलना | 
कलियों की अंगड़ाई, फूलों का खिलना,
धरती का ओस की चादर को हटाना ।

प्रकृति का सौंदर्य हर तरफ है बिखरा,
सुबह का सूरज नई उमंगों से भरा | 
हर किरण अपने में उत्साह को लाती है,
जीवन में नई चेतना का संचार कर जाती है  | 

सूरज की पहली किरण का उजाला,
न तपिश न गरमी का ठिकाना..................


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)

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