यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।
अपनी ही मस्ती में मस्त थे ।
एक दिन जब हम विद्यालय से घर आए ।
एक दिन जब हम विद्यालय से घर आए ।
दादी जी ने हमें खुशखबरी सुनाई
अब हम छोटे नहीं बन गए बड़े भाई
यह सुनकर हमको बड़ा पसीना आया
हमने गुस्से में मुंह फुलाया
यह क्या मुसीबत मेरे गले पर आई
पर हमारा बड़ा भाई बहुत मुस्कुराया
क्योंकि एक नन्ही सी परी हमारे जीवन में आई
हमको समझ नहीं आ रहा था सब क्यों इतने खुश हैं
एक हम ही थे जो मुंह फुला कर बैठे थे
बड़ी मुश्किल से हमें मनाया गया
हमको अपने पास मां ने बुलाया
उस नन्ही परी से हमारा कुछ परिचय कराया
उसको हमारी छोटी बहन कह के बुलाया
एक ही पल में हम छोटे से बड़े हो गए
और उस परी के दो बड़े रखवाले हो गए
थी तो वह छोटी पर किसी राजकुमारी से कम नहीं थी
जब उससे कुछ काम कहो उसका एक ही रूदन था
अभी तो हम छोटे हैं, क्योंकि वह हम सबकी लाडली थी
कितनी ऐसी यादें हैं कितने ऐसे किस्से हैं
इन मीठी यादों को कैसे अपनी कलम में कैद करूं ।
यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।
यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।
(लेखक - धीरेंद्र सिंह)
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