एक तू ही है जो, मुझको आज भी पढ़ लेती है।
मेरे बिना कहे, सब आज भी समझ लेती है |
हर तकलीफ में मेरी, तेरी नींद कहीं खो जाती है ।
मेरी एक मुस्कान से, तेरी सुबह हो जाती है ।
अपने से ज्यादा आज भी, तुझे मेरी फिक्र होती है |
बिना लिए खैरियत मेरी, तू आज भी कहाँ सोती है |
एक तू ही है जो मुझको......................
कितनी बातें, तुम पापा को बताती हो |
हमारी शिफारिस तुम आगे बढ़ाती हो |
जायज़ नाज़ायज, हर फरमाइश तुमसे हमने हैं मनवाई |
तूने भी अपनी ममता बेशुमार है लुटाई |
आज तुझसे दूर सही, पर तू मुझसे कब दूर है ।
माँ का आशीष कब किस बच्चे से दूर है |
एक तू ही है जो मुझको......................
माँ तेरी आवाज का जादू, आज भी यों कायम है |
बेचैन मन को मेरे देता तुरंत सुकून है |
माँ तू तो अपने में पूरी क़ायनात है |
तेरा बजूद ही हर बच्चे के लिए वरदान है |
एक तू ही है जो, मुझको आज भी पढ़ लेती है।
मेरे बिना कहे, सब आज भी समझ लेती है |
(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)
बहुत खूब, बहुत खूब, बहुत खूब
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