जीवन में कमजोर होना बुरा नहीं है किंतु कमजोर दिखना बहुत बुरा है एक छोटी सी कहानी जो बताती है कि हम वास्तव में क्या हैं अगर हम नहीं जानते तो हम अपना जीवन कैसे जीते हैं।
एक बार की बात है एक शेरनी ने एक शेर के बच्चे को जन्म दिया, वह शेर का बच्चा जब थोड़ा बड़ा हुआ तो अपने झुंड से बिछड़ गया और भेड़ों के झुंड के साथ मिल गया और बहुत समय तक भेड़ों के साथ रहा, भेड़ों की तरह ही बोलने लगा वह सब काम करने लगा जो भेड़े करती थीं। एक दिन वह भेड़ों के झुंड के साथ नदी पर गया और वह जब पानी पी रहा था तब उसने अचानक गौर किया अपनी परछाई पर जो पानी में दिख रही थी, उसने थोड़ा गौर से अपनी परछाईं को देखा, फिर दाएं देखा, फिर बाएं देखा, फिर उसने एक एक भेड़ को देखा, फिर अपना चेहरा पानी में देखा और सोचने लगा कि यह सब तो एक जैसे दिख रहे हैं, मैं तो इनके जैसा नहीं हूं फिर अचानक दूर पहाड़ पर एक शेर आया। उस शेर ने जोर से दहाड़ा, शेर की आवाज सुनकर भेड़ों का झुंड इधर-उधर दौड़ने लगा, लेकिन यह शेर का बच्चा जो भेड़ों के साथ था उसने देखा कि अरे यह क्या हुआ और जब उसने पहाड़ के ऊपर देखा फिर अपने आप को देखा और सोचने लगा अरे यह तो बिलकुल मेरे जैसा है और कितनी गजब की आवाज है। उसने भी दहाड़ने की कोशिश की और थोड़ी देर में ही उसने वैसे है दहाड़ा जैसे पहाड़ पर खड़े शेर ने दहाड़ा था, आज उस शेर के बच्चे ने असल में अपने आप को पहचाना था और उसके इस बदलाव से जो भेड़ें आज तक उसके साथ आसानी से रहती थी उस की दहाड़ को सुनकर सब भाग गईं।
हम सब भी अपने आप को भुला के बैठे हैं, जीवन खाने-पीने सोने का नाम नही है, जीवन है नाम यात्रा का, खुद को पाने का अगर हम अपने जीवन में अपने असली महत्व को नहीं जान पाए तो हम भी उस शेर के बच्चे की तरह ही जीवन जिएंगे।
~धीरेन्द्र सिंह
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