एक समय की बात है, एक औरत अपने बच्चे के साथ एक गांव में रहती थी और जिसने अपने जीवन में बहुत कठिनाइयों का सामना करके अपने बच्चे को बड़ा किया था । एक दिन उसका बेटा अपनी मां के पास आया और बोला मां तूने जीवन पर बहुत मेहनत की है और मेरी छोटी सी छोटी बातों का तूने बहुत ध्यान रखा है, अब मैं बड़ा हो गया हूं और मैं अब तुम्हारी सेवा करना चाहता हूं । मां ने मुस्कुराकर अपने बेटे को खूब आशीर्वाद दिया और बोला बेटा सेवा करना इतना आसान नहीं है और कहा तू इन चक्कर में मत पड़ और जा अपना काम कर मैं ठीक हूं ।
बेटा बोला नहीं मां तुमने वाकई जीवन भर बहुत मेहनत की है, अब मेरी बारी है और मैं तुम्हारी बहुत सेवा करना चाहता हूं, अब मैं तुम्हें कोई काम नहीं करने दूंगा, अब तुम आराम करो । मां ने कहा अच्छा तो चल तू आज मेरे पास ही सो जा, अच्छा मां बेटे ने कहा और मां पलंग पर और बेटा नीचे चटाई पर सो गया और थोड़ी देर बाद मां ने बेटे को आवाज दी कि बेटा सो गया क्या, मुझे थोड़ा पानी पिला दे, अच्छा मां बस अभी लाता हूं और बेटे ने मां को पानी पीला दिया और बोला मां और कुछ चाहिए किया, मां ने कहा नहीं बेटा अब तू सो जा।
बेटा फिर सोने के लिए लेट गया , फिर मां ने आवाज़ लगाई बेटा सो गया किया, बेटे ने आवाज़ दी किया हुआ मां बेटा पता नहीं लेकिन पैरों में बहुत दर्द हो रहा है, तू मेरे पैर दबा दे। अच्छा मां अभी दवाता हूं और करीब एक घंटे तक बेटा मां के पैर दवाता रहा, तब मां ने कहा बेटा अब तू सो जा बहुत देर हो गई है, अच्छा मां बेटे ने कहा, मुझे भी बहुत नींद आ रही है।
बेटा अपने बिस्तर पर लेटा और उसे तुरन्त नींद आ गई, थोड़ी देर बाद मां ने बेटे को फिर आवाज़ दी, बेटा बेटा अरे सो गया किया, इस बार बेटा थोड़ा खिस्याने लगा पर फिर अपनी बात याद कर बोला, किन्तु इस बार आवाज़ में वो प्रेम नहीं था, हां मां बोलो अब किया हो गया, बेटा मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है थोड़ा दवादे, अच्छा मां । बेटे ने मां का सर भी दवाय और फिर सोने के लिए लेटा परंतु थोड़ी देर में ही उसकी मां से पानी उसके बिस्तर पर फेल गया और वो बड़े गुस्से से खड़ा हुआ और अपनी मां को बुरा भला कहने लगा। मां थोड़ी देर सब सुनती रही और फिर बोली बेटा तू ऐसे ही मेरी सेवा करना चाहता था, यह सुन कर बेटा शर्म से पानी पानी हो गया।
मां बोली बेटा जब तू छोटा था ना, ऐसी कितनी रातें होती थी जब तू मुझे एक पल भी सोने नहीं देता था किन्तु मुझे तुझ पर गुस्सा नहीं आता था । मुझे अच्छा लगा कि तू मेरी सेवा करना चाहता है किन्तु सेवा कर पाना इतना आसान नहीं होता है, तू मेरा प्यारा बच्चा है। अब जा और अपने कमरे सो जा, अब मैं तुझे परेशान नहीं करूंगी।
बेटा बोला मां मुझे माफ़ कर दे, मैं समझ गया हूं कि कोई भी बेटा अपने मां बाप का एहसान कभी नहीं उतार सकता, फिर भी कोशिश करूंगा एक अच्छा बेटा बनने कि और बेटे ने मां को अपने गले लगा लिया।
मां बाप के लिए उनके बच्चों का प्यार, बच्चों के द्वारा उनका ध्यान रखना, साथ समय बिताना और सम्मान करना ही उनकी असली सेवा है।
- धीरेन्द्र सिंह
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