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Thursday, December 9, 2021

Mercy - झमा दान

Mercy

जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं, जब हम समझ ही नहीं पाते कि हमें क्या करना चाहिए, हम सब मानव शरीर धारण किए हुए हैं और मनुष्य गुणों से भी सुसज्जित है जैसे लोभ, क्रोध, मोह, वासना आदि, इसी कारण बस हम अपने आप को सबसे श्रेष्ठ समझते हैं और कई बार धर्म और अधर्म का फर्क भूल जाते हैं | 

जब यह निश्चित हुआ कि अब तो कौरव और पांडव का युद्ध होगा ही, तो सबसे ज्यादा व्यथित अगर कोई था तो वहा थे - श्री कृष्ण, वह जानते थे कि पांडव सही होते हुए भी गलत थे और उनसे भी अधर्म हुआ था | चौंसर में अपने भाइयों और अपनी पत्नी को दांव पर लगाना और उसका मान भंग होते देखना और राजा होते हुए भी अपनी प्रजा के बारे में ना सोचते हुए अपनी सारी संपत्ति और राज्य को दांव पर लगाना, यह सब कार्य अधर्म के ही पर्यायवाची हैं और उससे भी बड़ी अधर्म की बात की एक महायुद्ध लड़ा जाना है वो भी प्रतिशोध की भावना से | 

युद्ध होता तो दो राजाओं में है पर उनके साथ लड़ता उनका पूरा साम्राज्य है जिससे किसी का भी फायदा नहीं होता है | 

कृष्ण जानते थे कि यह युद्ध हुआ तो सब कुछ नष्ट हो जाएगा और इस युद्ध से किसी को भी कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि जब कोई शेष ही नहीं बचेगा तो कौन किस राज्य का आनंद लेगा | लेकिन कृष्ण जानते थे कि युद्ध अनिवार्य है पर उसकी दिशा और कारण सही नहीं है इसलिए कृष्ण अपनी बहन द्रोपती के पास गए | 

कृष्ण द्रोपती से बोले, हे द्रोपती तुम यह युद्ध क्यों चाहती हो, द्रोपती एक टक टकी से कृष्ण को देखती ही रही और बोली, है माधव, हे केशव यह आपने कैसा प्रश्न किया है, क्या आप नहीं जानते कि कौरवों ने कैसा मेरा अपमान किया था, कृष्ण बोले - मेरी बहन सब जानता हूं और इसलिए यह प्रश्न कर रहा हूं कि यह युद्ध बड़ा ही विनाशक युद्ध होगा जो आज से पहले कभी नहीं हुआ है और ना आज के बाद कभी होगा और जो भी इसमें वीरगति को प्राप्त करेगा उसका उत्तरदायित्व कौन होगा | क्या युद्ध केवल प्रतिशोध की भावना से होना चाहिए, तब द्रोपती ने रोते हुए कृष्ण से पूछा तो माधव आप ही बताइए क्या मैं सब को माफ कर दूं और भूल जाऊँ जो भी मेरे साथ हुआ था | 

कृष्ण बोले मेरी बहिन युद्ध तो अब अनिवार्य है परन्तु तुम्हारा उन सब को माफ करना भी जरूरी है क्योंकि ऐसा करने से तुम इस युद्ध के पाप से मुक्त हो जाओगी और तब यह युद्ध प्रतिशोध के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध नहीं बल्कि धर्म की स्थापना के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध बन जाएगा - जरा सोचो, तुम महाराज युधिष्ठिर की महारानी शूरवीर पत्तियों की पत्नी हो, जब तुम्हारे साथ ऐसा दुराचार हो सकता है तो समाज की आम नारी के साथ क्या होगा इसलिए फिर कहता हूं तुम सब को माफ कर दो, झमा कर दो क्योंकि इससे बड़ा पुण्य कुछ भी नहीं है

तब द्रोपती ने कौरव समाज को माफ कर दिया इस प्रकार महाभारत का युद्ध किसी स्त्री के प्रतिशोध का नहीं बल्कि धर्म की स्थापना के लिए लड़ा गया युद्ध था | 


(लेखक -धीरेन्द्र सिंह)

हमारे साथ ही क्यों ऐसा होता है


जीवन के अनुभव हमें परिपक्व बनाते हैं अच्छे अनुभव जीवन में खुशियां लाते हैं बुरे अनुभव अपनी, अपनों की, और खुद की खुद से पहचान कराते हैं इसलिए कहते भी है कितनी बड़ी मुश्किल होगी जीत का जश्न उतना शानदार होगा ।

हमें लोग धोखा क्यों देते हैं, हम अच्छे हैं फिर भी हमारे साथ बुरा क्यों होता है। जब हमने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा फिर भी हमें इतना दुख क्यों ऐसे बहुत से प्रश्न हमें परेशान करते हैं जब हम किसी विपरीत या प्रतिकूल परिस्थिति में होते हैं, क्रोध से ग्रसित होते हैं और समझ नहीं पाते कि क्या करें और चिंता में फस जाते हैं

जीवन एक यात्रा है जिसमें बहुत से लोग आपसे मिलेंगे और आपकी यात्रा के साथी भी होंगे कुछ आपको पसंद करेंगे, कुछ आपकी आलोचना करेंगे, कुछ सहयोग करेंगे, कुछ साथ देंगे, कुछ धोखा देंगे, कुछ मित्र होंगे, पर यात्रा आपकी है, विवेक आपका है, जो व्यक्ति सिर्फ अपनी यात्रा का आनंद लेता है अर्थात जो निरंतर गतिमान रहता है और वह किसी भी परिस्थिति में समान रहता है वही अपने लक्ष्य को पाता है।


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)

Sunday, December 5, 2021

कुछ भी असंभव नहीं



कई बार मैं लोगों से सुनता हूं अरे यह तो मैं कर ही नहीं पाऊंगा, यह तो संभव ही नहीं है, तो मुझे समझ नहीं आता कि वह ऐसा कैसे कह सकते हैं जबकि इस दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो कोई भी मनुष्य नहीं कर सकता | 

जब कोई कहता है मैं नहीं कर सकता उसका सिर्फ दो ही मतलब होते हैं, क्या तो वह जानता नहीं है कि काम कैसे हो या वह करना ही नहीं चाहता अगर वह नहीं करना चाहता है, तो यह उसके व्यक्तित्व ही समस्या है क्योंकि आप काम कैसे होता है अगर नहीं जानते हो तो इसके लिए परीक्षण ले सकते हैं

संपूर्ण जीवन A और D के बीच ही सिमटा हुआ है, B का मतलब BIRTH (जन्म) और D का मतलब DEATH (मिर्त्यु) और इसके बीच में C का मतलब CHOICE (निर्णय ), मनुष्य का संपूर्ण जीवन का आधार भी इसी पर टिका हुआ है कि आप क्या करने का और क्या ना करने का निर्णय (CHOICE) लेते हैं | 

जो व्यक्ति जीवन में हर परिस्थिति में स्थिर रहते हैं, खुशी में हों या दुख में, वही जीवन का सही मायने में आनंद लेते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं इसलिए जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है बस चाहिए तो मनुष्य की दृढ़ शक्ति | कई बार लोग चाहते तो बहुत कुछ है और बहुत मेहनत भी करते हैं पर सफल नहीं होते क्योंकि वह अपने आप पर काम नहीं करते जो बहुत आवश्यक है -

सफलता के लिए मनुष्य को 3D और 3C के फार्मूले को अपने जीवन में धारण करना होगा -

D=Dedication (निष्ठा)

D=Devotion (लगन)

D=Determination (दृढ़ता)

C=Coaching (सिखाना)

C=Consistency (स्थिरता)

C=Community (सामान्यता)

जब मनुष्य 3D और 3C के formula को आत्मसार कर लेता है तो उसके लिए जीवन में कुछ भी असंभव नहीं रह जाता है | 


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)

वर्षा


नीले गगन में उमड़े काले बादल,
हवाओं ने भी अपना तेवर दिखाया |
बादलों के शोर में,
बिजली ने भी अपना रूप दिखाया | 

देखना कर यह सब,
बच्चों का मन घबराया |
कैसा मौसम है यह,
किसी को समझ नहीं आया | 

चलती तेज हवाएं,
आज अपना जोर दिखाती |
पेड़ों की हर शाखा,
अपने अस्तित्व को बचाती | 

यह वातावरण मन में,
कुछ मिश्रित अनुभव उखरते हैं | 
कहीं डर तो कहीं,
रोमांच का सुंदर अनुभव कराते हैं | 

वर्षा की पहली बूंद,
जो मेरे तन को छूती है |
मुझे आज फिर से, बच्चा बनने पर मजबूर कर देती है | 

बारिश प्रकृति की,
सुंदरता को प्रकाशित करती है |
जीवन में श्रृंगार, हर्ष और उल्लास को बढ़ाती है | 

वर्षा अपने आप में पूर्ण हैं,
श्रृंगार से सुशोभित है | 
मन की शांति है,
सुंदरता की परिकाष्ठा है | 


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)

सुबह


सूरज की पहली किरण का उजाला,
न तपिश न गरमी का ठिकाना | 
मंद मंद हवाओं का चलना,
वो मन का यूं हरसाना |

निशा की विदाई दिन का आगमन,
चांद का छुपना सूरज का निकलना | 
कलियों की अंगड़ाई, फूलों का खिलना,
धरती का ओस की चादर को हटाना ।

प्रकृति का सौंदर्य हर तरफ है बिखरा,
सुबह का सूरज नई उमंगों से भरा | 
हर किरण अपने में उत्साह को लाती है,
जीवन में नई चेतना का संचार कर जाती है  | 

सूरज की पहली किरण का उजाला,
न तपिश न गरमी का ठिकाना..................


(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)