पल के इंतजार में
पल के खुमार में
पल भर की जिदंगी के बीत ते हर पल में
सपनो की सुनहरी बहार में
नींद में, जागने में, खोने में, पाने में
कुछ है तो भी
कुछ नही है तो भी
जिंदगी की अपनी ही राह में
चलने में, दौड़ने में
मंजिल को पाने में, खोने में
खुशी में, गम में
अपनो में, परायों में
और न जाने कितनो की परछाइयों में
भूल गए हैं खुद को
उस ईश्वर की दी हुई मुस्कराहट को
हस ले, हस ले जिंदगी
देख तुझको कुछ और भी हस लेंगे
जीना सीख लेंगे
हां जीना सीख लेंगे।
(धीरेन्द्र सिंह)
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बहुत सुंदर पंक्तियां
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