चली मेरे बाबा की, मेरे भोले की बारात
कितनी सुंदर, कितनी अद्धभूत मेरे शंकर की बारात
जिसमें ब्रह्मा भी आए, विष्णु भी आए
लाए अपने संग देव समाज
और आए भूत, प्रेत भी जिसमे लेकर अपना समाज
देख जिसको बड़ों बड़ों का दिल भी थर्राए
कितनी सुंदर, कितनी अद्धभूत मेरे शंकर की बारात
चली मेरे बाबा की, मेरे भोले की बारात
सुंदर, अनोखा रूप है सजाया
भस्म को शरीर पर लगाया
सुशोभित हुआ शीश पर चंद्रमा
जटाओं में गंग धार
और किया सर्पों से श्रंगार
चले बाबा मां जगदम्बा को बियाने
होकर अपने नंदी पर सवार
चली मेरे बाबा की, मेरे भोले की बारात
कितनी सुंदर, कितनी अद्धभूत मेरे शंकर की बारात।
(धीरेंद्र सिंह)
सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।
हर हर भोले......
हर हर भोले......
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