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Saturday, July 30, 2022

Know yourself - स्वयं की पहचान

 
Know yourself

जीवन में कमजोर होना बुरा नहीं है किंतु कमजोर दिखना बहुत बुरा है एक छोटी सी कहानी जो बताती है कि हम वास्तव में क्या हैं अगर हम नहीं जानते तो हम अपना जीवन कैसे जीते हैं।

एक बार की बात है एक शेरनी ने एक शेर के बच्चे को जन्म दिया, वह शेर का बच्चा जब थोड़ा बड़ा हुआ तो अपने झुंड से बिछड़ गया और भेड़ों के झुंड के साथ मिल गया और बहुत समय तक भेड़ों के साथ रहा, भेड़ों की तरह ही बोलने लगा वह सब काम करने लगा जो भेड़े करती थीं। एक दिन वह भेड़ों के झुंड के साथ नदी पर गया और वह जब पानी पी रहा था तब उसने अचानक गौर किया अपनी परछाई पर जो पानी में दिख रही थी, उसने थोड़ा गौर से अपनी परछाईं को देखा, फिर दाएं देखा, फिर बाएं देखा, फिर उसने एक एक भेड़ को देखा, फिर अपना चेहरा पानी में देखा और सोचने लगा कि यह सब तो एक जैसे दिख रहे हैं, मैं तो इनके जैसा नहीं हूं फिर अचानक दूर पहाड़ पर एक शेर आया। उस शेर ने जोर से दहाड़ा, शेर की आवाज सुनकर भेड़ों का झुंड इधर-उधर दौड़ने लगा, लेकिन यह शेर का बच्चा जो भेड़ों के साथ था उसने देखा कि अरे यह क्या हुआ और जब उसने पहाड़ के ऊपर देखा फिर अपने आप को  देखा और सोचने लगा अरे यह तो बिलकुल मेरे जैसा है और कितनी गजब की आवाज है। उसने भी दहाड़ने की कोशिश की और थोड़ी देर में ही उसने वैसे है दहाड़ा जैसे पहाड़ पर खड़े शेर ने दहाड़ा था, आज उस शेर के बच्चे ने असल में अपने आप को पहचाना था और उसके इस बदलाव से जो भेड़ें आज तक उसके साथ आसानी से रहती थी उस की दहाड़ को सुनकर सब भाग गईं।

हम सब भी अपने आप को भुला के बैठे हैं, जीवन खाने-पीने सोने का नाम नही है, जीवन है नाम यात्रा का, खुद को पाने का अगर हम अपने जीवन में अपने असली महत्व को नहीं जान पाए तो हम भी उस शेर के बच्चे की तरह ही जीवन जिएंगे।

                                                                   ~धीरेन्द्र सिंह



Wednesday, July 20, 2022

Words power - शब्दों की शक्ति

Words power

शब्द अपने आप में इतने सशक्त होते हैं कि आपके जीवन को निखार भी सकते हैं और बर्बाद भी कर सकते हैं, शब्दों का सही चयन करना सीखें ।

शब्दों का अगर सही प्रयोग समझना है तो Mr. Edison कि कहनी से समझें जहां उनकी मां के सकारात्मक शब्दों ने स्कूल से निकाले गए एक मूर्ख बच्चे को, उन्होंने एक महान वैज्ञानिक बना दिया । यह बात उस समय की है जब Mr. Edison एक महान वैज्ञानिक बन चुके थे और एक दिन वह अपना कोई research paper खोज रहे थे जब उनके हाथ में एक बहुत पुराना सा खत लगा जो कि उनके स्कूल के प्रधानाचार्य ने उनकी मां को लिखा था। उन्होंने उसको पढ़ना शुरू किया, उसमे लिखा था कि आपका बच्चा दिमाग ही तौर पर सामान नहीं है और हमारे लिए किया किसी भी स्कूल के लिए ऐसे बच्चे को पढ़ाना असंभव है । तब Edison सोचने लगे पर जब मैंने अपनी मां से पूछा था तो उन्होंने कहा था कि प्रधानाचार्य जी ने कहा है कि मैडम आपका बच्चा तो इतना होशियार और काबिल है कि यह स्कूल इसके लायक नहीं है और आप ही इसको घर पर ही शिक्षा दीजिए ।

Edison सोच कर रोने लगे कि देखो उनकी मां के शब्दों ने उनको आज किया बाना दिया है, शब्दों की शक्ति ऐसी ही होती है। आज हम सब इतने नकारात्मक माहौल में जीते हैं कि अधिकांश मनुष्य यह मान के चलता है कि या तो उससे होगा नहीं या वह उसके लायक नहीं और वह खुद तो इस नकारात्मक संसार से बाहर आना नहीं चाहते और दूसरों को भी इससे ग्रसित करते रहते हैं।

इसलिए कहता हूं अपने शब्दों का प्रयोग बहुत सावधानी से करिए, विचार करिएगा.............

(लेखक - धीरेंद्र सिंह)

Thursday, July 14, 2022

Believe - विश्वास

Believe


मनुष्य एक समाजिक प्राणी है और समाज का आधार है विश्वास । जब कोई भी व्यक्ति किसी के विश्वास को तोड़ता है तो समाज का ताना बाना बिगड़ जाता है और समाज में एक अस्थिरता आ जाती है । इतिहास गवाह है कि बड़े-बड़े राजाओं ने अपनी सत्ता तब हारी है जब उनके किसी अपने ने ही उनके साथ विश्वासघात किया था।

विश्वास, यह शब्द जितना छोटा है उसका अर्थ उतना ही गहरा और विशाल है, हमारे निजी जीवन में, रिश्तो में, विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है। यहां तक की जब तक हम खुद पर भी विश्वास नहीं करते, यकीन नहीं करते तब तक हम अपनी मंजिल से बहुत दूर रहते हैं । 

जब भी किसी व्यक्ति ने अपने ऊपर संपूर्ण विश्वास किया, अपनी क्षमताओं पर पूर्ण विश्वास किया उसने हमेशा एक नया इतिहास रचा है। इसलिए जीवन में विश्वास की शक्ति को समझना बहुत जरूरी है ।


जीवन का आनंद सबके साथ है

सबका साथ ही जीवन का आनंद है

विश्वास कि यह डगर थोड़ी कठिन है

हर मोड़ पर अविश्वास की डगर है

डर किसी समस्या का समाधान नहीं

आंख के बदले आंख यह कोई हल नहीं

तुम चुरा सकते हो सबसे नजर

खुद से कभी नजर चुराना नहीं

इस विश्वास अविश्वास के खेल में

तुम कभी हारना नहीं

तुम कभी हारना नहीं

(लेखक - धीरेंद्र सिंह)