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Wednesday, December 16, 2020

उड़ गया पंछी


उड़ गया पंछी पिंजड़ा तोड़ के

छोड़ गया सब कुछ यहां मोह छोड़ के

रहे गया कारवां मन मसक के


उड़ गया पंछी पिंजड़ा तोड़ के....


कुछ समझ नहीं आया क्या हुआ

जो हुआ बस रुला गया

जिसके रहने से हम अब तक बच्चे थे

एक पल में ही हमको बड़ा बना गया

सत्य कड़वा होता है इसका भी अनुभव करा गया


उड़ गया पंछी पिंजड़ा तोड़ के......


राम में थे लीन और अब राम मय हो गए

बजरंग के ध्यान से राम के हो गए

एक पल में हर नाता तोड़ अपनी ही यात्रा पर निकल गए

प्रार्थना है ईश्वर से आपको अपने श्री चरणों में स्थान दे


उड़ गया पंछी पिंजड़ा तोड़ के.......


                                             (लेखक - धीरेन्द्र सिंह)



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