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Tuesday, August 24, 2021

सफलता कैसे मिले


हम अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं पर उसके लिए तैयारी नहीं करते और जब असफल हो जाते हैं तो पूरी दुनिया को और अपने रिश्तेदारों को सब को बुरा भला कहते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि हम में क्या कमी रह गई ।

जब इंसान किसी सपने के लिए कठिन परिश्रम कर रहा होता है तो वह बार-बार उसका अनुकूलन अपने सपनों में करता रहता है, जो सफलता के लिए बहुत जरूरी भी है पर अधिकांश मनुष्य फल की इच्छा में अपने कठिन परिश्रम को भुला देता हैं और ख्यालों की दुनिया में खोया रहते हैं। जिससे उसका ध्यान मेहनत से हटकर उससे होने वाले लाभ पर केंद्रित हो जाता है जो उसकी सारी मेहनत पर पानी फेर देता है क्योंकि जब आप किसी सपने को पूरा करना चाहते हैं तो पूरी लगन से उसके लिए तैयारी करें बिना हार जीत के विषय में सोचें

लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?

इसको ऐसे समझें कि आपको बाजार से कुछ सामान लेना है और आप बाजार जाते हैं, बिना यह सोचे की दुकानें खुली होंगी या नहीं समान मिलेगा या नहीं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका पूरा ध्यान उस सामान को किसी भी हाल में खरीदने पर होता है यह सिद्धांत सपने को पूरा करने के लिए भी उपयोग किया जाए तो वास्तव में सफलता मिलती है।

जैसे कोई भी सफल व्यक्ति सफल क्यों हुए?

वह व्यक्ति सफल इसलिए हुए क्योंकी उन्होंने सिर्फ अपना सारा ध्यान अपनी सारी ऊर्जा अपने काम पर केंद्रित कर दी ना कि उसकी सफलता या असफलता के बारे में सोचने में इसलिए मैं यह मानता हूं अगर आप कुछ भी करना चाहते हैं तो उसके लिए नियमित रूप से निरंतर मेहनत करें, प्रयास करें सफलता आपको जरूर मिलेगी।

"जीवन में हारना अनुभव सिखाता है।
 गिर कर उठना, हार ना मानना, जीवन जीना सिखाता है।"

सफलता का एक ही नियम - हार ना मानना (Never give up)

(लेखक - धीरेंद्र सिंह)

बहन




यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।
यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।
अपनी ही मस्ती में मस्त थे ।

एक दिन जब हम विद्यालय से घर आए ।
एक दिन जब हम विद्यालय से घर आए ।
दादी जी ने हमें खुशखबरी सुनाई
अब हम छोटे नहीं बन गए बड़े भाई
यह सुनकर हमको बड़ा पसीना आया
हमने गुस्से में मुंह फुलाया
यह क्या मुसीबत मेरे गले पर आई
पर हमारा बड़ा भाई बहुत मुस्कुराया
क्योंकि एक नन्ही सी परी हमारे जीवन में आई
हमको समझ नहीं आ रहा था सब क्यों इतने खुश हैं 
एक हम ही थे जो मुंह फुला कर बैठे थे
बड़ी मुश्किल से हमें मनाया गया
हमको अपने पास मां ने बुलाया
उस नन्ही परी से हमारा कुछ परिचय कराया
उसको हमारी छोटी बहन कह के बुलाया
एक ही पल में हम छोटे से बड़े हो गए
और उस परी के दो बड़े रखवाले हो गए
थी तो वह छोटी पर किसी राजकुमारी से कम नहीं थी
जब उससे कुछ काम कहो उसका एक ही रूदन था
अभी तो हम छोटे हैं, क्योंकि वह हम सबकी लाडली थी 
कितनी ऐसी यादें हैं कितने ऐसे किस्से हैं
इन मीठी यादों को कैसे अपनी कलम में कैद करूं ।

यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।
यह उस समय की बात है जब हम बच्चे थे ।


(लेखक - धीरेंद्र सिंह)