कुंभ परिचय है हिन्दू संस्कृति का
आस्था का महासागर है कुंभ का मेला जो हर १२ वर्ष में हिंदुस्तान के चार प्रमुख स्थानों में आयोजित किया जाता है - प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन ।
इस बार का कुंभ मेला प्रयाग की पावन भूमि पर आयोजित हुआ है, यह सिर्फ एक मेला नहीं यह संस्कृति और अध्यात्म का महा-मिलन है जहां, एक ही स्थान पर आप भिन्न समुदायों के लोगों को एक ही आस्था और धर्म से जुड़ा पाते हैं । इस दिन देश दुनिया से अनेकों साधु, संत यहां आकर जन साधारण को अपनी उपस्थिति और संस्कृति से परिचय कराते हैं ।
क्यों महत्पूर्ण है कुंभ का मेला ?
१. धार्मिक महत्व - मान्यता है कि कुंभ में पावन नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।
२. सांस्कृतिक महत्व - कुंभ में भिन्न साधु संतों का समागम होता है, जो अपने ज्ञान की गंगा से जन साधारण को अपनी संस्कृति से और उसकी परंपराओं से रूबरू कराते हैं।
३. समाजिक महत्व - कुंभ में हर मनुष्य एक समान हैं, न कोई अमीर और न कोई गरीब, न कोई ऊंचा, न कोई नीचा ।
कुंभ मेला में क्या होता है?
शाही स्नान: कुंभ मेला में शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
धार्मिक अनुष्ठान: मेले में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं जैसे कि हवन, यज्ञ और भजन-कीर्तन।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जैसे कि नृत्य, संगीत और नाटक।
कारोबार: कुंभ मेला एक बड़ा व्यापारिक केंद्र भी है। यहां स्थानीय शिल्पकार अपने उत्पाद बेचते हैं।
(लेखक - धीरेन्द्र सिंह)
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