किसी से भी मत सीखो, सीखना है तो अपनी परिस्थितियों से सीखो, तुम रुके हो, समय नहीं, सफलता तुम्हें चाहिए किसी और को नहीं, आराम तुम कर रहे हो और कोस रहे जमाने को, क्या चाहिए तुम्हें, अगर है मालूम तो समय नहीं है, तुम्हारे पास रुको नहीं, करो दिन रात काम।
अगर नहीं बदलती तुम्हारी परिस्थिति और तुम सही नहीं कर रहे हो, जानो समय को और दिन रात काम करो, अपने आपको खोजो, सफलता असफलता यह सब बेमानी है क्योंकि तुम तो आए हो अपने एक सपने के साथ, मुश्किल नहीं है जमाने में खुद को स्थापित करना, बस जरूरी है खुद को पहचानना ।
कुछ भी करोगे उसके लिए कुछ तो छूटेगा ही किस मोह में पड़े हो तुम, हो क्या पहले इसको पहचानो, क्यों किसी को दे देते हो तुम्हारा जीवन और अपना हर एक क्षण, उसको तुम बर्बाद कर रहे हो, कब तक ऐसे चलता रहेगा तुम उठते हो, सोते हो कब तक चलता रहेगा ।
मरना सबको है और एक दिन आएगा जब तुम्हारी आवाज भी खामोश हो जाएगी तुम एक तस्वीर बनकर किसी दीवार पे नजर आओगे, उस समय के आने से पहले क्यों मर रहे हो, हर क्षण तुम यही सोचते हो कि आज मेरे पास पैसे नहीं है आज मेरे पास यह नहीं है अपने आपको पहले अमीर बनाओ इतना अमीर के लोग तुमसे मिलने के लिए लाइन में खड़े रहे, लोग तुमको ignore ना कर पाए सोचो समझो बातों को ।
कब तक चलता रहेगा कभी तो उसका अंत आएगा........
( लेखक - धीरेंद्र सिंह)